दुमका में असिस्टेंट प्रोफेसर को डिजिटल अरेस्ट का भय दिखाकर साईबर अपराधियों ने कर ली 15 लाख की ठगी

गिरिडीह

दुमका. झारखण्ड की उप राजधानी दुमका में साइबर अपराधियों के हौसले बुलंद हैं. पुलिस की तमाम कोशिशों के बावजूद अब पढ़े-लिखे और बुद्धिजीवी वर्ग के लोग भी ठगों के नए पैंतरों का शिकार हो रहे है. ताजा मामला दुमका से है, जहां ‘डिजिटल अरेस्ट’ (Digital Arrest) का डर दिखाकर एक असिस्टेंट प्रोफेसर से 15 लाख रुपये की ठगी कर ली गई. साइबर अपराधियों ने खुद को सीबीआई और मुंबई पुलिस बताकर प्रोफेसर को चार दिनों तक डिजिटल कैद में रखा. साइबर अपराध का यह सनसनीखेज मामला दुमका के संथाल परगना महिला कॉलेज से जुड़ा है. यहां के भौतिकी विभाग (Physics Dept) के असिस्टेंट प्रोफेसर अविनाश शरण साइबर अपराधियों के एक बड़े जाल में फंस गए. प्रोफेसर को एक अनजान नंबर से कॉल आया. फोन करने वाले ने खुद को TRAI (टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी) का कर्मचारी बताया और कहा कि उनके आधार कार्ड पर एक और सिम लिया गया है जिसका इस्तेमाल गैर-कानूनी कामों में हुआ है. ठगों ने डराया कि मुंबई पुलिस ने उनके खिलाफ FIR दर्ज की है. कहानी यहीं ख़त्म नहीं हुई. ठगों ने प्रोफेसर को नरेश गोयल मनी लॉन्ड्रिंग केस में फंसा होने का दावा किया. तथाकथित सीबीआई और मुंबई पुलिस बनकर वीडियो कॉल के ज़रिए उन पर चार दिनों तक मानसिक दबाव बनाया गया. हद तो तब हो गई जब ठगों ने ‘डिजिटल अरेस्ट’ के दौरान एक फर्जी ऑनलाइन कोर्ट (Fake Online Court) भी लगा दिया. प्रोफेसर को डराया गया कि अगर वे मुंबई नहीं आ सकते, तो अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए उन्हें 15 लाख रुपये जमा करने होंगे, जो जाँच के बाद वापस मिल जाएंगे. दबाव में आकर प्रोफेसर ने अपनी और बच्चों की सुरक्षा के लिए अपनी जमा पूंजी, यानी 15 लाख रुपये ठगों द्वारा बताए गए ‘SMD सुकन्या इन्वेस्टमेंट’ के खाते में RTGS कर दिए। पैसे जाते ही संपर्क टूट गया और जब दोबारा कॉल किया तो उधर से बांग्ला भाषा में बात की गई, तब जाकर उन्हें ठगी का एहसास हुआ. फिलहाल दुमका नगर थाना पुलिस मामले की छानबीन कर रही है.

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