उक्त कार्यशाला का उपायुक्त, रामनिवास यादव ने शुभारंभ किया

गिरिडीह

 कहा कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जनजागरूकता बढ़ाना, बाल विवाह उन्मूलन हेतु कानूनी प्रावधानों की जानकारी देना तथा विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना है.

गिरिडीह. गिरिडीह जिला अंतर्गत अनुमंडल कार्यालय डुमरी में आज समाज में व्याप्त कुप्रथाओं के उन्मूलन, बाल विवाह की प्रभावी रोकथाम तथा महिलाओं एवं बालिकाओं के अधिकारों की सुरक्षा एवं सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकार द्वारा संचालित सामाजिक कुरीति निवारण योजना, राज्य योजनाएँ – बाल विवाह मुक्त झारखंड एवं मिशन शक्ति के अंतर्गत अनुमंडल स्तरीय एक दिवसीय प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला का आयोजन किया गया. उक्त कार्यशाला का उपायुक्त, श्री रामनिवास यादव द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया.
कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध जनजागरूकता बढ़ाना, बाल विवाह उन्मूलन हेतु कानूनी प्रावधानों की जानकारी देना तथा विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन को सुनिश्चित करना था.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उपायुक्त , रामनिवास यादव ने कहा कि हम सभी क्षेत्रों में आगे बढ़ रहे हैं. सरकार द्वारा महिलाओं को दिए जाने वाले अधिकार और कई सरकारी योजनाओं का लाभ पाकर आज हमारे राज्य की महिलाएं सशक्त हुईं हैं. आजीविका के कई साधन अपनाते हुए उन्होंने अपने जीवन को नई दिशा दी है और स्वयं को सशक्त किया है. बच्चियां भी शिक्षा जगत में अपना परचम लहरा रही है. आज प्रत्येक क्षेत्र में महिलाएं आगे आकर काम कर रहीं हैं. यह परिणाम है सरकार का प्रयास और आपकी महत्वकांक्षाओं का जिससे आज आप बुलंदियों की सीढ़ियों पर चढ़ रहीं हैं. परन्तु यह खेद का विषय है कि आज भी हमारे समाज में कई प्रकार की कुरीतियां व्याप्त हैं जिसमें से बाल विवाह एक गंभीर मुद्दा है. हम सभी एक मंच पर एक साथ एकजुट हुए है आवश्यकता है हमें अपने समाज से इस प्रकार की बुराइयों को खत्म करने की. सबको एकजुट होकर इससे जड़ से खत्म करने हेतु प्रयास करना होगा तभी हम एक आदर्श समाज की स्थापना कर सकते हैं. बच्चे देश के भविष्य होते हैं और उनके जीवन के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किसी को नहीं है. मेरा अनुरोध होगा उन सभी अभिभावकों को से जो अभी भी इस अंधेरे में अपने बच्चों का जीवन बर्बाद कर रहे. समाज के प्रत्येक व्यक्ति की यह नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वो इस प्रकार की घटनाओं का विरोध करें और इसकी सूचना तत्काल प्रशासन को दें. उन्होंने स्पष्ट कहा कि बाल विवाह की किसी भी सूचना को गंभीरता से लिया जाए और किसी भी स्तर पर लापरवाही न बरती जाए. जैसे ही बाल विवाह की संभावना या सूचना प्राप्त हो, उसे तुरंत संबंधित पदाधिकारी, CMPO, पुलिस या अनुमंडल प्रशासन तक पहुँचाना अनिवार्य है. सूचना मिलने पर प्रशासन और पुलिस द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए विवाह को रोका जाए तथा कानून के अनुसार आवश्यक कदम उठाए जाएँ। साथ ही, पीड़ित बच्चे की सुरक्षा, संरक्षण और पुनर्वास सुनिश्चित किया जाए तथा जुवेनाइल जस्टिस अधिनियम, 2015 के तहत सभी आवश्यक सुविधाएँ प्रदान की जाएँ. आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नहीं बल्कि एक गंभीर अपराध है, जिससे आगे चलकर POCSO अधिनियम के अंतर्गत दंडनीय अपराध भी उत्पन्न होते हैं. इसलिए किसी भी प्रकार का दबाव, समझौता या ढिलाई स्वीकार नहीं की जाएगी और दोषियों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

प्रशिक्षण सत्र के दौरान बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के कानूनी प्रावधानों की विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई. बताया गया कि अधिनियम के अनुसार बालिकाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष तथा बालकों के लिए 21 वर्ष निर्धारित है. निर्धारित आयु से पूर्व संपन्न किसी भी विवाह को बाल विवाह की श्रेणी में रखा गया है, जो कि कानूनन अपराध है. इस क्रम में यह भी स्पष्ट किया गया कि विवाह के लिए आयु सत्यापन केवल विद्यालय पंजीकरण/स्कूल रिकॉर्ड के आधार पर ही किया जाएगा. कार्यशाला में यह भी बताया गया कि बाल विवाह कराना, करवाना अथवा उसमें किसी भी प्रकार से सहयोग करना दंडनीय अपराध है, जिसके अंतर्गत दोषी पाए जाने पर कारावास एवं आर्थिक दंड का प्रावधान है. प्रशिक्षण के दौरान विवाह आयोजन से जुड़े व्यक्तियों जैसे कैटरर, टेंट हाउस, बैंड पार्टी एवं बिचौलियों की भूमिका एवं जिम्मेदारी पर भी विशेष प्रकाश डाला गया. बताया गया कि यदि किसी बाल विवाह की जानकारी होने के बावजूद वे सेवा प्रदान करते हैं, तो उनके विरुद्ध भी विधिसम्मत कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

कार्यशाला में जनप्रतिनिधियों, विशेषकर मुखिया एवं वार्ड सदस्यों से ग्रामीण स्तर पर निगरानी रखने, जागरूकता अभियान चलाने तथा इस प्रकार के मामलों की सूचना प्रशासन को देने का आह्वान किया गया. साथ ही जिला, प्रखंड एवं पंचायत स्तर पर गठित बाल कल्याण एवं संरक्षण समिति की भूमिका को महत्वपूर्ण बताते हुए इस प्रकार के मामलों पर गंभीरता से त्वरित कार्रवाई करने हेतु निर्देश दिया गया. इसके साथ ही मिशन शक्ति के अंतर्गत महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा, सम्मान, अधिकार एवं सशक्तिकरण से जुड़ी योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी गई तथा संबंधित विभागों को आपसी समन्वय के साथ कार्य करते हुए धरातल पर इसका प्रमुखता से क्रियान्वयन करने पे जोर दिया.

पुलिस अधीक्षक,गिरिडीह ने कहा कि बाल विवाह कानूनन अपराध है और इस प्रकार की सूचना पाए जाने पर संबंधित पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी. बाल विवाह एवं अन्य सामाजिक कुरीतियों की रोकथाम केवल प्रशासन की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग की सामूहिक जिम्मेदारी है. इस प्रकार के प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य समाज में सकारात्मक बदलाव लाने तथा बाल विवाह मुक्त, सुरक्षित एवं सशक्त समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण दिशा देने हेतु किया गया है. सभी लोग अपील है कि वो इस कार्य में जिम्मेदारी के साथ सहयोग करें ताकि हम समाज में व्याप्त कुरीतियों को जड़ से समाप्त कर सकें. इसके अलावा डायन प्रथा, बाल विवाह, सावित्री बाई फुले समृद्धि योजना, मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, सामूहिक अंतिम संस्कार योजना, मानव तस्करी, मिशन शक्ति आदि योजनाओं से संबंधित फिल्म दिखाया गया। कार्यशाला में जिला सत्य पदाधिकारी अनुमंडल के पदाधिकारी,
एवं कर्मी, महिला एवं बाल विकास विभाग के प्रतिनिधि, सीडीपीओ, महिला पर्यवेक्षिकाए, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका,ग्रामीण, पंचायत प्रतिनिधि, तथा अन्य उपस्थित थे.

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